हिंदु धर्म में वैवाहिक जीवन को पूर्ण सफल तभी माना जाता हैं जब संतान प्राप्ती हो। भारतीय धर्म में गृहस्थ आश्रम को चारों आश्रमों में सर्वश्रेष्ट आश्रम कहा गया हैं। उसका सबसे बडा कारण कुल व वंश को चलाने वाले संतान की प्राप्ती इसी आश्रम में होती हैं। लेकिन कुछ ग्रहों के बुरे योग संतान होने में अनेक प्रकार की बाधायें उत्पन्न करते हैं। ज्योतिष शास्त्र को वेदों का नैत्र कहा गया हैं, इस शास्त्र के द्वारा जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखा व समझा जा सकता हैं। जन्म कुंडली में जिन योगों की वजह से संतान होने में बाधायें आती हैं, उनमें से प्रमुख योग हैं